A Secret Weapon For hindi poetry
A Secret Weapon For hindi poetry
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जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥
मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं check here जाम चूर
स्वतंत्रता की इस अमर धारा को, सब मिलकर सजाएँ।
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
लहरों की मस्ती और सूरज जैसी तरुनाई है तुममे।।
अगणित कर-किरणों से जिसको पी, खग पागल हो गाते,
साम्यवाद की प्रथम प्रचारक है यह मेरी मधुशाला।।५९।
तारक-मणि-मंडित चादर दे मोल धरा लेती हाला,
मेरे भारत की महिमा तो,सभी देवों ने मानी है
आज मिला अवसर, तब फिर क्यों मैं न छकूँ जी-भर हाला
नहीं हुआ है अभी सवेरा, पूरब की लाली पहचान, चिड़ियों के जगने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान,
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मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।४७।
ज्वाल सुरा जलते प्याले में दग्ध हृदय की कविता है,
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